Thursday, November 15, 2018

مستجدات في ملف مقتل الصحفي السعودي خاشقجي (2)

كسر وزير إسرائيلي بارز، اليوم الجمعة، الصمت الذي التزمت به بلاده، تجاه قضية الصحفي السعودي جمال خاشقجي، الذي قتل داخل قنصلية بلاده في إسطنبول.
وقال وزير الطاقة الإسرائيلي، يوفال شتاينتز، إن قتل الصحفي السعودي "عمل خسيس"، لكنه وصف إسرائيل بأنها أكثر اهتماما بتدعيم علاقات الخليج في صراعها ضد ايرانولم يوضح الوزير الإسرائيلي، في تصريحاته إلى محطة إذاعة "تل أبيب 102" التي نقلتها "رويترز"، ما إذا كانت وجهات نظره هي آراء حكومة رئيس الوزراء بنيامين نتنياهو، أم لا.
وكانت النيابة العامة التركية قد أعلنت، يوم الأربعاء الماضي، أن الصحفي السعودي جمال خاشقجي قتل خنقا، ومن ثم تم تقطيع جثته.
نقلت وكالة "الأناضول" التركية الرسمية عن النيابة العامة القول إنه "تم تقطيع جثة خاشقجي بعد مقتله والتخلص منها".
وأضافت "الصحفي السعودي قتل خنقا فور دخوله مبنى القنصلية السعودية في إسطنبول، وفقا لخطة كانت معدة مسبقا".
كما أوضحت النيابة التركية إنها لم تتوصل إلى نتائج ملموسة من اللقاءات مع الجانب السعودي رغم كل الجهود المتسمة بالنوايا الحسنة لإظهار الحقيقة.
استطاعت القوى الأمنية اللبنانية (الجمارك) ضبط الكثير من المواد المهربة من وإلى لبنان في الأشهر القليلة الماضية.
وأفادت الوكالة الوطنية للاعلام اللبنانية، يوم أمس الأربعاء، أن عناصر الجمارك اللبنانية كشفت عن عملية تهريب ضخمة كانت
وضبطت مصلحة الجمارك مسافرا كان يخفي حوالي 20 كيلو من الذهب الخالص. وبحسب المعلومات الأمنية، فالموقوف قادم من تركيا إلى لبنان.
كما نجحت القوى الأمنية من توقيف عملية تهريب ضخمة إلى لبنان، وهي عبارة عن مئات علب السجائر الأجنبية التي حاول مسافر إدخالها من أوكرانيا إلى بيروت. لكن تم توقيفه وبوشرت معه التحقيقات.
ووفقا لمالك الفيديو، لفت انتباهه صرخات قوية لقطيع من الظباء، عندها بدأ بالبحث عن مصدر الصوت، ووجد اثنين من النمور كانا قد افترسا ظبيا صغيرا، ولكنه ما زال على قيد الحياة.
وأضاف "عندما حاول أحد النمور القضاء على الظبي، بدأ الآخر بافتراسه وهو حي". وبعد فترة صغيرة هاجمت 4 ضباع النمرين واستولوت على الفريسة وبدأت بتناولها.كان الزعيم الكوري الشمالي كيم جونغ أون والرئيس الأمريكي دونالد ترامب تعهدا بالعمل من أجل نزع الأسلحة النووية في لقاء القمة في شهر يونيو/ حزيران الماضي في سنغافورة، لكن الاتفاق كان قصيرا ولم تحقق المفاوضات الكثير من التقدم.علنت كوريا الشمالية أن قوتها النووية "كاملة" وأوقفت تجارب الصواريخ والقنابل النووية في وقت سابق من هذا العام، لكن المفاوضون الأمريكان والكوريون الجنوبيون لم يحصلوا بعد من بيونغ يانغ على إعلان ملموس لحجم أو نطاق برامج الأسلحة أو وعدا بالتوقف عن نشر ترسانتها الحالية.
وألغت كوريا الشمالية الأسبوع الماضي اجتماعا مع وزير الخارجية الأمريكي مايك بومبيو في نيويورك، وقالت وسائل الإعلام الرسمية يوم الاثنين إن استئناف بعض التدريبات العسكرية الصغيرة من قبل كوريا الجنوبية والولايات المتحدة قد انتهك الاتفاق الأخير الذي يهدف إلى خفض التوتر في شبه الجزيرة الكورية.
كما أشارت تقارير إعلامية إلى وجود 20 قاعدة صاروخية غير معلن عنها في المناطق النائية والجبلية لكوريا الشمالية، ويمكن استخدامها لإيواء الصواريخ الباليستية من أصناف مختلفة، ويعتقد أن أكبرها قادر على ضرب أي مكان في الولايات المتحدة.

Thursday, October 4, 2018

आपके घर में लगा AC कब हो जाता है जानलेवा?

एक अक्टूबर की रात पति, पत्नी और आठ साल का बच्चा एसी ऑन कर सोते हैं. चेन्नई का ये परिवार दो अक्टूबर की सुबह नहीं देख पाया.
दरवाज़ा तोड़कर भीतर घुसी पुलिस को इन तीनों लोगों की लाश मिली. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, पुलिस को जांच में पता चला कि इन तीनों की मौत की वजह एयरकंडीशनर से लीक हुई ज़हरीली गैस बनी.
पुलिस ने बताया कि रात को ये परिवार बिजली जाने पर इनवर्टर ऑन करके सोया था. लेकिन रात में बिजली आ गई और एसी से लीक हुई गैस से परिवार के तीनों सदस्यों की मौत हो गई.
एसी की वजह से जान को ख़तरे का ये पहला मामला नहीं है. इससे पहले एसी का कंप्रेशर फटने की वजह से लोगों की जान जा चुकी है. ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं जिसमें घरों और दफ्तरों में एसी से लोगों को सिर दर्द, सांस लेने में दिक्कतें हुई हैं.
ऐसे में सवाल ये कि इसकी वजह क्या है जिससे ठंडक पहुंचाने वाला एसी जानलेवा बन जाता है और घर या दफ़्तर में एसी लगा हो तो किन बातों का ज़रूर ख़्याल रखा जाना चाहिए.
सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ( ) में प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी ने बीबीसी हिंदी से इस बारे में बात की.
अविकल सोमवंशी बताते हैं, ''अभी जो मॉर्डन एसी हैं उसमें पहले के मुकाबले कम ज़हरीली गैस इस्तेमाल की जाती है. ये R-290 गैस होती है, इसके अलावा भी कई और गैस हैं. पहले क्लोरो फ्लोरोकार्बन का इस्तेमाल किया जाता था. ये वही गैस है जिसे ओज़ोन लेयर में सुराख़ के लिए ज़िम्मेदार माना जाता रहा है. बीते क़रीब 15 सालों से इस गैस के इस्तेमाल को ख़त्म करने की बात की जा रही है. फिर हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन का इस्तेमाल हुआ. अब इसे भी हटाया जा रहा है.''
आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि आपके घर में जो एसी है, उसमें कौन सी गैस होनी चाहिए.
इसका जवाब अविकल सोमवंशी देते हैं, ''अभी भारत में जिस गैस का ज़्यादातर इस्तेमाल हो रहा है, वो हाइड्रो फ्लोरो कार्बन है. कुछ कंपनियों ने प्योर हाइड्रो कार्बन के साथ एसी बनानी शुरू की है. पूरी दुनिया में इसी गैस के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जा रहा है. ये गैस बाकियों से बेहतर होती हैं. इसके अलावा कोशिश ये भी की जा रही है कि नैचुरल गैसों का इस्तेमाल किया जा सके.''
दिल्ली में प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर कौशल के मुताबिक़, 'क्लोरो फ्लोरो से सीधे हमारे शरीर पर कोई असर नहीं होता है. लेकिन अगर ये गैस लीक होकर वातावरण में मिल जाए तो नुकसानदायक हो सकती है.'
 के मुताबिक़, एसी से निकली गैस से सिर दर्द की शिकायतें तो होती हैं, लेकिन मौत कम ही मामलों में होती है.
  • हर साल सर्विस करवाएं
  • दिन में एक बार कमरे की खिड़कियां-दरवाज़े खोल दें
  • स्प्लिट एसी विंडो एसी के मुक़ाबले ज़्यादा बेहतर
  • ग़लत गैस डालने से भी दिक्क़त होती है
अवकिल सोमवंशी जोड़ते हैं, ''जब आप कमरे की खिड़कियां या दरवाज़ें खोलें तो एसी बंद करना न भूलें. ऐसा करने से आपके बिजली का
इसके जवाब में  के प्रोग्राम मैनेजर कहते हैं, ''अगर आपके घर अच्छे से बने हैं, बाहर की गर्मी अंदर नहीं आ रही है तो आप एक बार एसी चालू करके ठंडा होने पर बंद कर सकते हैं. एक बात कही जाती है कि अगर आप 24 घंटे एसी में रहेंगे तो आपकी इम्युनिटी कम हो सकती है. आपका कमरा अगर पूरी तरह बंद है तो एक वक्त के बाद उसमें ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी. ये ज़रूरी है कि कहीं न कहीं से ताज़ा हवा अंदर आए.''
एसी सिर्फ़ घरों में ही नहीं रहता. शीशे की बड़ी खिड़कियों वाले दफ़्तरों में भी एसी होता है. अगर आपके दफ़्तर में एसी होगा तो शायद आपने भी कई बार कांपते हुए काम किया हो.
अविकल सोमवंशी कहते हैं, ''दफ़्तरों में एसी का तापमान कम रखने की आदत विदेशों से आई है. वहां लोग ठंडे में रहते हैं. लेकिन भारत में लोगों को गर्म में रहने की आदत होती है. ऐसे में जब इतने कम तापमान में लोग रहते हैं तो छींक आना और सिर दर्द जैसी दिक्क़तें शुरू होती हैं. दफ़्तरों में एसी कम रखने से सेहत, बिजली बिल और आपके काम की गुणवत्ता पर असर होता है.''
हालांकि दफ़्तरों में एसी का तापमान कम रखने की वजह मशीनें भी होती हैं.
अगर एयरकंडीशन दफ्तर पूरी तरह से बंद है तो इसे विदेशों में 'सिक बिल्डिंग सिन्ड्रोम' कहा जाता है.
बड़े दफ़्तरों में सेंट्रल एयरकंडीशनिंग सिस्टम होता है जिससे हवा आती-जाती रहती है.
दूसरा विकल्प ये है कि दफ़्तरों के एसी में बैठने वाले लोग बाहर आते-जाते रहें ताकि ताज़ा हवा आपको मिलती रहे.
इसी साल जून में ऊर्जा मंत्रालय ने सलाह दी थी कि एसी की डिफ़ॉल्ट सेटिंग 24 डिग्री सेल्सियस रखी जाए ताकि बिजली बचाई जा सके.
ऊर्जा मंत्रालय का कहना था कि अगले छह महीने तक जागरुकता अभियान चलाया जाएगा और प्रतिक्रियाएं ली जाएंगी. मंत्रालय ने दावा किया था- इससे एक साल में 20 अरब यूनिट बिजली बचेगी.
अविकल सोमवंशी के मुताबिक़, दुनिया के कुछ देशों में एसी का तापमान तय करने की कोशिशें हुई हैं.
 की सलाह है कि दफ़्तरों में ये ख़याल रखना चाहिए कि सेंट्रल एयरकंडीशन सिस्टम की नियम से सफाई की जाए. कई बार इसमें फंफूद या गंदगी जम जाती है जिसके रास्ते आई हवा आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है.
बिल ज़्यादा नहीं बढ़ेगा. सुबह जब आप एसी बंद कर देते हैं, तब अपने खिड़कियां- दरवाज़े खोल दें.''लंग या सोफ़े पर बैठकर टीवी देखते हुए अक्सर आप एसी का रिमोट उठाकर तापमान 16 या 18 तक ले आते हैं.
 की मानें तो ऐसा करना आपकी सेहत पर असर डाल सकता है.
घरों या दफ़्तरों में एसी का तापमान 25-26 डिग्री सेल्सियस ही रखना चाहिए. दिन के मुकाबले रात में तापमान कम रखा जा सकता है. ऐसा करने से सेहत भी ठीक रहेगी और बिजली का बिल भी कम आएगा.
लेकिन अगर आप एसी का तापमान इससे कम रखेंगे तो एलर्जी या सिरदर्द शुरू हो सकता है. बुजुर्गों और बच्चों की इम्युनिटी सिस्टम कमज़ोर होता है, ऐसे में एसी का तापमान सेट करते वक़्त इसका ख़याल रखना होगा.

Monday, September 24, 2018

दुनिया नापने की दौड़ में तूफान से लड़ते जांबाज को बचाया

यी दिल्ली,  सितंबर (एजेंसी)
ऑस्ट्रेलिया के पास हिंद महासागर में 3 दिन से फंसे भारतीय नौसेना के अधिकारी अभिलाष टॉमी को सोमवार को बचा लिया गया। दुनिया की यात्रा पर अकेले निकले अभिलाष (39) की पाल वाली नौका एक शक्तिशाली तूफान में फंस गयी थी। वह गंभीर रूप से घायल हो गये थे। उन्हें बचाने के लिए कई देशों ने साझा अभियान चलाया। आखिरकार फ्रांस की मछली पकड़ने वाली नौका ओसिरिस ने उन्हें बचाया। बचाव अभियान में सफलता के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कमांडर ‘होश में हैं और ठीक हैं।’
कीर्ति चक्र से सम्मानित कमांडर अभिलाष 2013 में समुद्र के रास्ते पूरी दुनिया का चक्कर लगाने वाले पहले भारतीय बने थे। अब वह गोल्डन ग्लोब रेस में हिस्सा लेने गये थे। गोल्डन ग्लोब समुद्री मार्ग से पूरी दुनिया का चक्कर काटने वाली रेस है, जिसमें प्रतिभागी अपनी नाव पर अकेले होते हैं। प्रतिभागियों को बिना रुके 30 हजार समुद्री मील की दूरी तय कर पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करना होता है। अधिकारियों के अनुसार, टॉमी की नाव पर्थ से 1900 समुद्री मील की दूरी पर तूफान की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी। करीब 15 मीटर ऊंची लहरों ने उनकी नाव ‘थोरिया’ को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था। उनकी याट का मस्तूल यानी वह खंबा जिससे पाल बंधा रहता है, टूट गया था। जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे अभिलाष किसी तरह यह संदेश भेजने में कामयाब रहे कि उनकी कमर में गंभीर चोट आई है। उन्हें बचाने के अभियान में ‘ऑस्ट्रेलिया रेस्क्यू कोऑर्डिनेशन सेंटर’ सहित कई एजेंसियां ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग और भारतीय नौसेना की सहायता कर रही थीं।
हिंद महासागर में तूफान के बाद फंसी उनकी नौका।
84 दिनों में तीसरे स्थान पर
एक जुलाई को प्रतियोगिता शुरू हुई थी। इसके बाद 84 दिनों में अभिलाष 10 हजार 500 समुद्री मील की दूरी तय कर चुके थे और रेस में तीसरे स्थान पर थे।
नक्शे-सितारों के सहारे रेस
इस रेस में प्रतियोगियों के पास पारंपरिक नौका होती है। सैटेलाइट फोन के अलावा संचार का कोई आधुनिक जरिये नहीं होता। सैटेलाइट फोन भी सिर्फ एमरजेंसी के लिए दिया जाता है। नाविक सिर्फ नक्शे, कम्पास और सितारों को देखकर दिशा तलाशते हुए बिना रुके अकेले रास्ता तय करते हैं।शिया कप में श्रीलंका के निराशाजनक प्रदर्शन और उसके पहले ही राउंड में बाहर हो जाने की गाज श्रीलंकाई कप्तान एंजेलो मैथ्यूज पर गिर गयी और उनकी कप्तानी छीन कर दिनेश चांदीमल को वनडे टीम का भी कप्तान बना दिया गया।
श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के चयनकर्ताओं ने टीम के पहले राउंड में बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हार कर बाहर हो जाने के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए मैथ्यूज को वनडे टीम के कप्तान पद से हटा दिया और उनकी जगह टेस्ट टीम के कप्तान चांदीमल को वनडे टीम की भी कमान सौंप दी। मैथ्यूज 10 महीने तक ही टीम के कप्तान रह सके। मैथ्यूज को इसी साल जनवरी में फिर से वनडे और ट्वेंटी-20 टीमों की कप्तानी सौंपी गई थी। इसके कुछ समय बाद ही वह चोट के कारण टीम से बाहर हो गए थे और कप्तानी चांदीमल को थमाई गई। जुलाई में चोट से उबरने के बाद मैथ्यूज टीम में लौटे और उन्होंने एक बार फिर कप्तानी संभाली लेकिन एशिया कप में टीम की नाकामी उन पर भारी पड़ गयी।
श्रीलंका पांच बार एशिया कप में चैंपियन रहा है लेकिन इस बार उसका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा।एशिया कप में श्रीलंका टीम के खराब प्रदर्शन के कारण चारों ओर से हो रही आलोचनाओं के बाद श्रीलंका के चयनकर्ताओं को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
एंजेलो मैथ्यूज
मैथ्यूज ने उन्हें कप्तान पद से हटाए जाने पर निराशा जाहिर करते हुए बोर्ड को लिखे पत्र में कहा है कि एशिया कप में टीम के खराब प्रदर्शन के मामले में उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है। मैथ्यूज ने बोर्ड को अपने पत्र में कहा, ‘एसएलसी और कोचों की बैठक के बाद मुझे वनडे और ट्वेंटी-20 टीमों के कप्तान पद से हटने के लिए कहा गया। यह मेरे लिए हैरानी वाली बात थी और मुझे ऐसा महसूस हुआ कि एशिया कप में टीम के खराब प्रदर्शन के लिए मुझे ही बलि का बकरा बना दिया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं एशिया कप में अफगानिस्तान और बांग्लादेश के खिलाफ मिली हार की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हूं, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरे साथ धोखा हुआ है और सारा दोष मुझ पर मढ़ा जा रहा है। मैं इस फैसले के पीछे के कारणों से सहमत नहीं हूं लेकिन मैं फैसले का सम्मान करता हूं।’

Tuesday, August 28, 2018

राहुल गांधी को बुलाने पर कोई फ़ैसला नहीं: आरएसएस

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपने कार्यक्रम में बुलाने को लेकर आरएसएस में किसी तरह का फ़ैसला नहीं हुआ है.
संघ के सह-कार्यवाह मनमोहन वैद्य ने बीबीसी संवाददाता फ़ैसल मोहम्मद अली से कहा कि 'भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' कार्यक्रम में किसको बुलाया जाएगा इसे लेकर किसी तरह की लिस्ट अभी तैयार नहीं हुई है.
उनका कहना था कि लिस्ट को तैयार होने में अभी समय है.
मीडिया में सूत्रों के हवाले से ख़बरें आ रही हैं कि संघ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी को दिल्ली में होने वाले अपने एक कार्यक्रम में बुला सकता है.
राहुल गांधी आरएसएस के घोर आलोचक रहे हैं और उन्होंने अपने भाषण में आरएसएस के लोगों के ज़रिये महात्मा गांधी को गोली मारे जाने तक की बात कही है जिसके लिए संघ उन्हें अदालत भी ले गया है.
चंद दिनों पहले लंदन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए राहुल गांधी ने आरएसएस की तुलना मिस्र के अतिवादी इस्लामिक संगठन मुस्लिम ब्रदरहुद से की जिसे लेकर बीजेपी ने सख़्त एतराज़ भी जताया है.
लेकिन सोमवार शाम को टेलीविज़न चैनलों में आरएसएस के राहुल गांधी को बुलाये जाने को लेकर बहसों का दौर जारी रहा. मंगलवार को कुछ अख़बारों में ये भी ख़बर प्रमुखता से छापी गई है.बीबीसी संवाददाता फ़ैसल मोहम्मद अली ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय फ़ोन कर इस बारे में जानकारी चाही तो संघ के सह-कार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि ''हमारी प्रेस विज्ञप्ति में इस तरह की कोई बात नहीं कही गई है.''
जब उनसे पूछा गया कि इस ख़बर को लेकर सारी मीडिया में ज़ोर-शोर से चर्चा हो रही है तो मनमोहन वैद्य का कहना था कि ''अब कुछ लोगों को ख़बर देने की जल्दी है तो हम क्या कर सकते हैं?''
आरएसएस की वेबसाइट पर 'भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' को लेकर जो प्रेस विज्ञपति है, उसमें कहा गया है कि ये कार्यक्रम दिल्ली के विज्ञान भवन में सितंबर 17 से 19 के बीच आयोजित होगा जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कुछ गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष भाषण देंगे और उनसे विचार-विमर्श करेंगे.
मीडिया में संघ के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार के हवाले से कहा गया है कि ''ये हमारे ऊपर है कि कार्यक्रम में अलग-अलग विचारधारा से ताल्लुक रखनेवाले लोगों को निमंत्रित किया जाएगा.''
अरुण कुमार ने ये बात मीडिया के सवाल के जवाब में कही थी.
उन्होंने कहा था, ''हम किसे बुलाएंगे या नहीं ये हमारे ऊपर है. ये हम पर छोड़ दीजिए. लेकिन विभिन्न विचारधारा और राजनीतिक सोच के लोगों को बुलाया जाएगा.''
आरएसएस ने पिछले साल जून में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को नागपुर बुलाया था, हालांकि पूर्व राष्ट्रपति के वहां जाने को लेकर कई कांग्रेसी नेता और समाज का एक तबका सहज नहीं था, लेकिन पूर्व कांग्रेस नेता वहां गए और उन्होंने संघ के बड़े नेताओं के सामने भारत की साझा संस्कृति की बात की जो आरएसएस की हिंदुत्ववादी विचारधारा से बिल्कुल अलग थी.
कुछ लोगों का मानना था कि आरएसएस कांग्रेस और दूसरी विचारधारा से जुड़े लोगों को बुलाकर अपनी मान्यता और पहुंच को बढ़ाना चाहता है.
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने कहा कि 'हो सकता है कि आरएसएस से जुड़ी विचारधारा आज राजनीतिक तौर पर मज़बूत दिख रही हो, लेकिन वो ये जानते हैं कि उनकी सोच भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, इसीलिए पहले प्रणव मुखर्जी को बुलाकर और अब राहुल गांधी और सीताराम येचुरी को बुलाने की बात कर वो अपनी स्वीकार्यता को बढ़ाना चाहते हैं.'

Friday, August 17, 2018

摄影师镜头下的湄公河变迁

澜沧江-湄公河从源头到入海口全长近5000公里,蜿蜒流经六个国家,养育了超过六亿的人民,生物多样性之丰富仅次于亚马逊河。摄影师加里斯·布莱特和卢克·福赛斯花了一年半从越南的湄公河三角洲一路溯流而上,直至青藏高原的澜沧江源头,记录下这条大河对两岸人民的重要意义。但他们满载而归的,却是沿岸人们所面临的各种艰辛挑战。

为此,第三极网站采访了加里斯·布莱特。这次行程的全部素材请参阅官网:“大河之尾”。

第三极:你们为什么决定进行这次旅行?

加里斯·布莱特(以下简称“布”):开始真的只是一场孩子气的冒险。我们之前住在柬埔寨采访2013年大选,然后就想从高强度、快节奏的新闻中暂时跳出来一下。于是我们从洞里萨湖的一个浮村买了一艘渔船,并跟占族穆斯林学会了[怎么使用]……我们的初衷是在闲暇时用这艘船溯湄公河而上。然后我们做了一个博客,就有一家新加坡的NGO和我们联系,[问我们能不能]驾船溯流游遍全程。这简直是一项不可能完成的任务。不过我们成功地从其他来源筹到资金,花了一年半来到源头。我们的交通方式多种多样、很接地气,如船只和摩托,其间我们也多次中断旅行返回金边。在这一年半中,湄公河成了我们的家、办公室和全部生活。柬埔寨的洞里萨湖是世界上最丰富的淡水生态系统之一,也是1500万柬埔寨人民主要的蛋白质来源。但是,这里的鱼正在消失。

第三极:你对自己的发现感到惊讶吗?

布:我们天真地以为会发现一些残存的美好,但实际上看到的只是一个又一个的灾难。我们到访的每一个村落都有这样那样的问题,整个情况一团糟。从湄公河三角洲到云南,一路上我们几乎没有看到什么令人舒服的东西。人们数千年来一直延续着同样的生活轨迹,但如今一切都在飞速变化,却没有人告诉他们该如何应对。人口增长、工业发展,所有人无所适从,他们生活在一连串的困惑之中。南空一号水电站的建设工地。南空河上将要修建三座大坝,一共将淹没1500平方公里土地,需要搬迁数千居民。

人们正在逐渐失去自己的文化。比如,我们在老挝的时候住在琅勃拉邦以南60公里的一个村子,人们曾在那里一成不变地生活了400年,如今搬到了为修建南空大坝而建成的移民村里。之前他们从来不需要现金,也不用买任何东西。尽管他们曾经认为未来的生活会很好,但眼下他们却需要钱。虽然他们可以在大坝上干活,然后领取中国水电建设集团(中国水电)发给他们的工资,但他们已经不再举行任何文化活动,仪式祭祀所需的牲畜和猪也不养了。他们也无法再为了节日而到森林中去,因为那里离现在的家太远。如今他们可以挣钱,有了电视、网络……但失去了自己的文化。一些人的酗酒和家暴也成了问题。移民“联合村”里的居民走在村子的一条主路上。这里的大多数村民过去是荒僻山村的农民或渔民,自从搬入移民村之后除了中国水电之外很难找到其他工作。

我们到了藏区,才知道人们与周围环境的关系如此紧密。那里的僧侣和居民对于他们的环境有一种令人难以置信的虔诚。活佛及环境活动人士听列嘉措喇嘛站在青海扎多群山环抱的自家门前。

我们在(青藏高原澜沧江源头附近的)扎多发现了很多寺庙和僧侣聚居的村子。在那里我们遇到一位僧人,早在17世纪他的家族就奉命照管澜沧江源头。
这位僧人过去40多年一直采集江水样本,存在架子上以备科学家们分析澜沧江的情况。他们注意到源头水量减少,也注意到江水的增减变化,还看到过去十年冰川锐利的边缘逐渐失去了棱角。
67岁的朱布加(音)喇嘛是听列嘉措的父亲,他指着一份古老文件的扫描件说:“我的祖先们专门照看澜沧江源,我的家族此后一直负责这个工作。我们就坚守这一使命,如今已经是第18代了。”
第三极:沿江居民有没有把自己的遭遇和其他地方的变化联系在一起?

我们在西藏遇到一位毕生都在清理河流的牧民。这是我们在那里唯一一次看到有人关心自身的行为对下游的影响。64岁的丹增古多是志愿者组织的一员,这个组织的任务是清理澜沧江的垃圾。这项工作常常很危险,但他说如果能为下游的千百万居民造福,即便牺牲生命也情愿。(拍摄地点:青海扎多)

因为修建大坝而不得不搬迁的柬埔寨人虽然不喜欢大坝,但他们不会想到大坝对鱼类洄游或者对洞里萨湖的影响。在越南,人们知道大坝的事情,并注意到湄公河三角洲水位的下降。在一个村子里,有越战时一直沉在水下的未爆炸弹(凝固汽油弹)随着水位下降暴露、氧化并爆炸,烧掉了整片田地。我听说这样的事故已经发生了六七起。污染影响了鱼群,柬埔寨段的河水被农药污染,河里漂着塑料。一只狗在南海沿岸满是塑料的海滩上逡巡。落潮时,被抛入湄公河和海里的垃圾就会缠在海边房子的桩子上。南海就是越南人所谓的“东海”。

第三极:澜沧江-湄公河沿线不同国家的人们有没有联合起来共同拯救这条河流?

位于老-柬边境的桑河二级水电站引起了柬埔寨居民的反对,但并没有采取任何跨境行动。澜沧江-湄公河是一条跨境河流,但每个国家的政局在某种程度上都不太稳定。我们只看到金三角有一个地方泰、老两国的傣族人进行了合作。但上下游并无信息分享,除非眼前利益受到影响,否则人们对大坝并无概念,更不会离开自己的村子。柬埔寨东北部布拉洛米村的一个普农族家庭。普农族是柬埔寨东北部的少数民族,严重依赖自然资源维持生计。桑河二级大坝如果建成,将迫使多个少数部落迁移,并对其耕作和捕鱼能力产生实质影响。目前该族意见对立,约半数族人已经接受了一揽子移民补偿方案,而另一半则坚决拒绝离开土地。
 
更多二位摄影师的澜沧江-湄公河之旅的所见所闻,请访问“大河之尾”。黑白照片由加里斯·布莱特拍摄,彩色照片来自卢克·福赛斯。

 

Wednesday, August 15, 2018

投资者加大对电力企业气候变化应对措施审查力度

电力企业——生产和提供电力的公司——是否已经准备好迎接气候变化相关政策和行动带来的各种变化?如果没有,那我们为什么要严肃看待这件事情?

我们大多数人的养老金都或多或少与电力公司相关。2007年到2008年期间,欧盟地区2020年气候与能源框架协议正式通过,该协议将极大提高可再生能源的使用比例。在此之前,欧洲的电力企业业绩表现都不错,而协议通过之后,这些公司就开始走下坡路了。

包括可再生能源比例上升等多种原因导致电力部门日益分散化,从而导致天然气和燃煤电厂这样的资本密集型基础设施建设的性价比也越来越低,并进而为那些继续严重依赖煤炭能源的大型电厂带来重重风险。

巴黎气候协议于去年12月正式通过,目前已经有177个国家签署了这份协议。该协议有望加快全球发电与配电产业结构的转型升级。

为了达到这个目标,我们必须告别对化石燃料的依赖,以低碳能源作为未来经济发展的基础,实现全球经济的大转型。

中国是首批签署巴黎气候协议的国家之一,同时也正逐渐成为落实协议内容、实现“低碳转型”的重要推动力量。

比如,截至2016年4月的一年间,中国新增太阳能装机达710万千瓦——相当于将中国的太阳能光伏发电能力提升了将近整整一倍。

中国计划在2030年前将低碳能源消费比例提升到20%左右——也就是将中国的低碳能源装机再增加8-10亿千瓦,甚至超过了中国现有的燃煤装机总量。

华北电力大学的一项最新研究(覆盖中国燃煤发电最集中的6个省份)显示,中国的煤炭产业在未来几年内将变得无利可图。这也从某种程度上解释了,为什么最近中国决定停建近200座燃煤发电厂(发电能力约为1.05亿千瓦)。

投资者对于低碳转型挑战传统电力企业的做法予以认可。因为投资者明白,电力企业的商业策略与资本配置将直接影响到未来几十年企业的可持续性和盈利能力。

因此,越来越多的投资者,尤其是各种养老基金,都希望电力企业能够积极做好准备,充分利用好低碳转型这个机遇。

所以,今年4月29日,由四大组织(包括气候变化亚洲投资者集团)所组成的全球网络发布了一份电力公共事业企业应对气候风险的指导文件。该网络代表了全球270多家机构投资者,资产总额超过20万亿欧元(约合148万亿人民币)。

该文件对未来行业管理提出了6点关键希望,其中包括:行业透明度;信息披露;商业策略(包括开展模拟或‘压力测试’,研究在国家为了落实巴黎气候条约而出台相应法规与公共条例的情况下,企业如何开展经营活动);运营效率;去碳化(企业摆脱化石燃料的过程);以及提高新技术的使用与整合水平,造福居民日常生活和整体环境健康。

同时,投资者还提醒电力企业应告诉消费者(通过节能手段)到底帮他们节约了多少度电,以及这些能源在整体电力销售中的占比。

任何简单的方法都不足以衡量消费者的总体满意度,如今这种趋势更是越加明显。那些声称已经采取了气候变化应对措施的电力企业必须要向消费者做出详尽解释,比如为了与太阳能企业建立全新伙伴关系他们正在做(或没有做)什么,以及在开发“智能电网”和能源储存解决方案方面投入了多少资金等。

此外,投资者希望电力企业不仅能够说明到底有多少消费者正在使用智能电表,而且还想知道这种新技术到底给消费者带来了多大的好处。


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关于气候变化亚洲投资者组织
动态。

Friday, August 10, 2018

पाकिस्तान चुनाव: हिंदुस्तानी मीडिया ने मुझे विलेन की तरह पेश किया - इमरान ख़ान

21.26बजे- इमरान ख़ान ने आम चुनावों में अपनी पार्टी की जीत का दावा किया है. उन्होंने कहा है कि ये चुनाव पाकिस्तान के इतिहास में सबसे पारदर्शी तरीके से कराए गए चुनाव हैं. हालांकि इमरान के विरोधियों का कहना है कि चुनाव में धांधली हुई है और सेना इमरान ख़ान का समर्थन कर रही है.
18:02 बजे- अभी तक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला रहा है. हम चाहते हैं कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच दोस्ती कायम हो. दोनों देशों के ताल्लुकात बेहतर हों.
18:00 बजे- अगर हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते अच्छे हों तो यह दोनों के लिए बेहतर होगा. हमारे व्यापारिक संबंध और बेहतर हों. कश्मीर में जो हालात है, वहां के लोगों ने जो झेला है, हमारी कोशिश होगी कि दोनों देश एक साथ बैठ कर तय करें कि वहां की स्थिति कैसे बेहतर की जाए.
17:56 बजे - भारत पर इमरान ख़ान ने कहा, "हिंदुस्तानी मीडिया ने मुझे ऐसे पेश किया गया जैसे मैं फ़िल्मों का विलेन हूं. सबसे बेहतर यह है कि हम दोनों व्यापार करें. सेना जहां जाएगी वहां मानवाधिकर उल्लंघन होगा और कश्मीर में लोगों ने सहा है. मसले टेबल पर बैठकर हल होनी चाहिए. हिंदुस्तानी नेता अगर तैयार हैं तो हम भी बातचीत के लिए तैयार हैं."
17:43 बजे- प्रेस क़ॉन्फ़्रेंस में इमरान ख़ान ने कहा, "मैं राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ बदले की भावना से कार्रवाई नहीं करूंगा. मैं एक उदाहरण पेश करना चाहता हूं कि हमारी संस्थाएं मज़बूत हों और क़ानून का राज हो. इस देश का गवर्नेंस सिस्टम बेहतर करना है."
17:38 बजे - इमरान ख़ान ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "कमज़ोर तबके को ऊपर उठाने के लिए हमारी नीतियां बनेंगी. हमारे किसानों, मज़दूरों के लिए नीतियां बनेंगी. हमारे बच्चे स्कूल से बाहर हैं, उन्हें साफ़ पीने के लिए पानी नहीं हैं. मेरी कोशिश रहेगी इन निचले तबके को ऊपर उठाऊं. देश की पहचान ग़रीब तबके से होती है."
17:35 बजे - इमरान ख़ान ने कहा, "1996 मैंने पार्टी शुरू की थी अब अल्लाह ने मुझे एक मौक़ा दिया है जिस ख़्वाब को मैं पूरा कर सकूं. 22 साल पहले मैं क्यों राजनीति में आया था जबकि मेरे पास सबकुछ था. मैं राजनीति में इसलिए आया था क्योंकि मैंने देश को नीचे जाते देखा."
17:35 बजे - बनी गाला में घर पर इमरान ख़ान की प्रेस कॉन्फ़्रेंस शुरू हुई.
17:00 बजे - पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ ने अपने चेयरमैन इमरान ख़ान की प्रेंस कॉन्फ़्रेंस से पहले ट्वीट किया है. इस ट्वीट में लिखा है, "यहां का मौसम बदलने वाला है, यहां कोई आने वाला है. इमरान ख़ान थोड़ी देर में राष्ट्र को संबोधित करेंगे."
16:40 बजे - पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ प्रमुख इमरान ख़ान कुछ ही देर में बनी गाला में अपने घर पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस करेंगे. उनके घर के लिए समर्थकों और कार्यकर्ताओं का काफ़िला रवाना.केंद्रीय असेंबली की 41 सीटों के आए ग़ैर-सरकारी नतीजों में तहरीक-ए-इंसाफ़ को 24, मुस्लिम लीग नवाज़ को नौ, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने पांच और अन्य ने तीन सीटों पर जीत दर्ज कर ली है.
15:45 बजे - पीटीआई ने पंजाब प्रांत में भी सरकार बनाने का एलान किया है. पीटीआई प्रमुख इमरान ख़ान के घर के बाहर प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके उनके प्रवक्ता नईम-उल-हक़ ने कहा है कि उनकी पार्टी केंद्र में सरकार बना रही है और पंजाब में प्रांतीय असेंबली की सीटों के लिए उनका पीएमएल नवाज़ पार्टी के साथ कांटे का मुक़ाबला है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत में भी सरकार बनाने में कामयाब रहेगी.
नईम ने कहा कि उनकी पार्टी सिंध में दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और वह मज़बूत विपक्ष बनेगी. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने कराची में एमक्यूएम का सफ़ाया कर दिया है.

Thursday, July 19, 2018

लोगों को मेरे बारे में बहुत सी ग़लतफ़हमी: ईशान खट्टर

ईशान खट्टर 22 साल के हैं. इतनी कम उम्र में वो मशहूर ईरानी फ़िल्म निर्माता माजिद मजीदी के साथ फिल्म 'बियॉन्ड द क्लाउड्स' में काम कर चुके हैं.अब बहुत जल्द ईशान खट्टर अपनी दूसरी फिल्म 'धड़क' की रिलीज के लिए तैयार हैं.उनका कहना है कि बहुत से लोगों को मेरे बारे में बहुत-सी ग़लतफ़हमी है. वो कहते हैं कि काम देखे बिना ही कई लोगों ने मेरे बारे में अपनी राय बना ली है.

बीबीसी से ख़ास बातचीत में अभिनेता ईशान खट्टर कहते हैं कि लोगों को मेरे बारे में बहुत सारी ग़लतफ़हमी हैं.
वो कहते हैं, "लोगों ने मेरी ज़िंदगी नहीं देखी और ना ही वो मुझे जानते हैं. ऐसे बहुत कम लोग ही होते हैं जो आपको जानने की कोशिश करते हैं. मुझे लगता है कि आज-कल का ज़माना ही ऐसा है, बिना जाने ही अपनी राय बना लेना और मुझे नहीं लगता कि ऐसे में मुझे अपने बारे में कोई सफ़ाई देनी चाहिए."

ईशान उन्हें फ़िल्मों में काम करने का मौका देने वाले लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं.वो कहते हैं, "लोग सोचते हैं कि मुझे फ़िल्म इसलिए मिली क्योंकि मैं शाहिद कपूर का भाई हूं और फिल्म इंडस्ट्री के परिवार से हूं. लेकिन ऐसा नहीं है मैंने भी फ़िल्मों में आने के लिए बहुत कोशिश और मेहनत की है. मैंने जब मजीद जी की फ़िल्म 'बियॉन्ड द क्लाउड्स' के लिए ऑडिशन दिया था तो उन्हें नहीं पता था कि मैं कौन हूं और किस परिवार से ताल्लुक रखता हूं."

"अगर उन्हें कुछ पता भी होता, तो भी मेरा काम पसंद नहीं आने पर वो मुझे नहीं लेते. मुझे पता है कि मैं अपने प्रति लोगों का नज़रिया जबरदस्ती नहीं बदल सकता. लोग जब मेरा काम देखेंगे तो खुद ही अपना नज़रिया बदल लेंगे मेरे प्रति. मुझे उस दिन का इंतज़ार रहेगा." फ़िल्म 'धड़क' में ईशान एक्टिंग और डांस करते दिख रहे हैं.
बचपन से ही एक्टिंग का सपना देखने वाले ईशान का कहना हैं.

"शुरू से ही मेरी मां नीलिमा अज़ीम ने बहुत ही साधारण तरीके से मेरी परवरिश की हैं. मेरा भाई अभिनेता है इस बात का मुझपर कभी कोई असर नहीं हुआ और ना ही कभी मैंने शानो-शौकतभरी ज़िंदगी जीने की कोशिश की."

श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी जाह्नवी कपूर फ़िल्म 'धड़क' से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत कर रही हैं.
इस फ़िल्म में ईशान की प्रेमिका का किरदार निभा रही जाह्नवी के बारे में ईशान कहते हैं, "जाह्नवी बहुत आत्मनिर्भर और ईमानदार लड़की है. जाह्नवी में काम करने का एक अलग ही तरह का उत्साह है और जब वो सेट पर आती हैं तो सबके चेहरे पर ख़ुशी रहती है. मुझे ख़ुशी है कि मैं जाह्नवी जैसी अभिनेत्री के साथ काम कर रहा हूं."


Wednesday, June 6, 2018

आज नागपुर में के कार्यक्रम में शामिल होंगे प्रणब, इस बात से डर रही है कांग्रेस

कांग्रेस की परंपरा में रचे बसे दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज शाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इसके लिए वो नागपुर पहुंच चुके हैं. प्रणब मुखर्जी के इस कदम पर सियासी हलचल तेज है. कांग्रेस के तमाम नेता इस दौरे के विरोध में बोल रहे हैं. यहां तक कि प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी अपने पिता को सख्त नसीहत दे डाली है.
क्या है संघ?
सबसे पहले बात संघ की. गुलामी की अंधेरी रातों में ही सही, लेकिन 1925 में विजयादशमी के दिन एक ऐसा संगठन तैयार हुआ, जिसने राजनीति से दूरी बनाने का दावा किया. लेकिन ये भी सच है कि आज देश की राजनीति के सारे बड़े रास्ते उसकी शाखाओं की गलियों से होते हुए उसके मुख्यालय पर खत्म हो जाते हैं. वो संगठन है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ.
क्यों मचा है हंगामा
संघ का वादा हिंदुत्व की रहनुमाई का है. संघ का दावा हिंदू राष्ट्र का है. संघ का इरादा अखंड भारत का है. संघ की सोच सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पन्नों में भटकती है, लेकिन इसी संघ को लेकर धर्मनिरपेक्षता के हिमायतियों का एक तबका नाक भौं भी सिकोड़ता है. इसीलिए जब कांग्रेसी परंपरा में पले-बढ़े, नेहरू-इंदिरा के मूल्यों और मान्यताओं की छांव में राजनीति सीखने वाले और धर्मनिरपेक्षता के ताने-बाने में भारतीय समाज को बुनने वाले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संघ के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनने का न्योता कबूल किया तो हंगामा मच गया.
आज शाम नागपुर पर सबकी नजरें
नागपुर के रेशमबाग मैदान में होने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग समापन समारोह खास है. उसमें ना सिर्फ पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शरीक हो रहे हैं, मुख्य अतिथि बन रहे हैं बल्कि वो आरएसएस के पासिंग आउट कार्यक्रम में भी शामिल होंगे और अपना विचार रखेंगे. आज शाम को सबकी नजरें नागपुर पर टिकीं होंगी. संघ ने अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर रखी है. विरोध और समर्थन के बीच ये तो तय है कि प्रणब मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में जाएंगे और तभी ये तभी पता चलेगा कि दादा के दिल में है क्या.
ये सवाल उठ रहे
सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रणब मुखर्जी राष्ट्रवाद पर अपने विचार रखेंगे? अगर रखेंगे तो वो संघ का राष्ट्रवाद होगा या नेहरू का, जिनकी राजनीति के हामी खुद प्रणब मुखर्जी ताउम्र बने रहे? क्या उनके विचार आरएसएस के राष्ट्रवाद के विचारों से मेल खाएंगे? क्या वो हिंदू राष्ट्र के सवाल पर भी अपनी आपत्तियों को रख सकते हैं? क्या प्रणब मुखर्जी सर्व धर्म सम्भाव की उस परंपरा की याद दिलाएंगे जो गांधी के राजनीतिक चिंतन से निकली है या फिर संघ के विचारों से मिलती-जुलती राय प्रस्तुत करेंगे? क्या भारत की बहुलता और विविधता वाली संस्कृति की पैरोकारी करेंगे, जो भारत की असली पहचान है?
राष्ट्रपति बनने के बाद प्रणब का दिखा नया चेहरा
वैसे माना जा रहा है कि प्रणब मुखर्जी भले ही जिंदगी भर कांग्रेस के रंग में रंगे रहे, लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद उनका एक नया चेहरा सामने आया. संविधान के मूल्यों से पूरी तरह बंधा हुआ. राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की राष्ट्रपति भवन में ही कई बार मुलाकात हुई. यहां तक कि पद छोड़ने के बाद भी प्रणब मुखर्जी ने भागवत को खाने पर बुलाया था. वास्तव में प्रणब मुखर्जी की राजनीतिक शख्सियत इतनी बड़ी रही है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनको पितातुल्य मानते हैं. आरएसएस के लिए ये कामयाबी जरूर हो सकती है कि जिंदगी भर आरएसएस के विचारों पर सवाल उठाने वाली एक बड़ी राजनीतिक हस्ती आज उसके घर में मुख्य अतिथि है. इससे संघ को लगता है कि उसकी विचारधारा को मजबूती मिलेगी.
बेटी ने भी प्रणब को दी नसीहत
उधर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नागपुर पहुंचे और इधर एक खबर उड़ी कि उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी को बीजेपी पश्चिम बंगाल के मालदा से चुनावी मैदान में उतार सकती है. इस खबर को लेकर शर्मिष्ठा ने ताबड़तोड़ दो ट्वीट किए. बीजेपी और आरएसएस पर प्रहार करते हुए उन्होंने अपने पिता को नसीहत तक दे डाली.
आरएसएस ने ऐसी राजनीतिक शख्सियत को क्यों बुलाया
पांच साल तक देश के प्रथम नागरिक रहे प्रणब मुखर्जी की पहचान कांग्रेसी विचारधारा में रचे बसे एक ऐसे राजनेता की है जिन्होंने भारत की धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों की दुहाई हर मंच पर दी. ऐसे में सवाल है कि आरएसएस ने एक ऐसी राजनीतिक शख्सियत को क्यों बुलाया, जिनकी विचारधारा संघ से बिल्कुल नहीं मिलती. इसका एक जवाब तो ये है कि संघ ने ऐसे तमाम लोगों को पहले भी अपने कार्यक्रमों में बुलाया है जिनमें रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया के नेता और दलित चिंतक दादासाहेब रामकृष्ण सूर्यभान गवई और वामपंथी विचारों वाले कृष्णा अय्यर जैसे लोग शामिल हैं. और तो और कांग्रेस के खिलाफ हर लड़ाई में आरएसएस ने कांग्रेस से निकले नेताओं का समर्थन किया.
क्या सोच-समझकर संघ ने प्रणब को चुना!
1975 में इमरजेंसी के दौरान आरएसएस पूरी तरह जेपी आंदोलन में कूद पड़ा. यहां तक कि 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी तो पूर्व कांग्रेसी मुरारजी देसाई के नाम पर भी संघ में सहमति थी. 1989 में जब राजीव गांधी के खिलाफ विपक्षी एकता के नायक बनकर वीपी सिंह उभरे तो संघ के साए में बीजेपी भी उनके साथ खड़ी थी. तो क्या कांग्रेस से लड़ने के लिए अब संघ ने प्रणब मुखर्जी के रूप में एक ऐसे नेता को चुना है, जिनकी महान कांग्रेसी विरासत ही कांग्रेस को काटेगी.
संघ ने शुरू से अलग रास्ता अख्तियार किया
1925 में आरएसएस का गठन हुआ था. उसके बाद आरएसएस ना तो गांधी की अगुवाई में चलने वाले आंदोलन में हिस्सेदार बनी न ही कांग्रेस से निकले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आंदोलन में साझेदार. और ना ही कभी भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों से उसका वास्ता रहा. ना 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के वक्त आरएसएस की कोई भूमिका दिखी. बल्कि आजादी के वक्त तो संघ ने तिरंगे का विरोध तक किया था.
राष्ट्र ध्वज का भी विरोध कर चुका है संघ
आरएसएस के मुखपत्र द ऑर्गनाइजेशन ने 17 जुलाई 1947 को नेशनल फ्लैग के नाम से संपादकीय में लिखा कि भगवा ध्वज को भारत का राष्ट्रीय ध्वज माना जाए. 22 जुलाई 1947 को जब तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज माना गया तो द ऑर्गेनाइजेशन ने ही इसका जमकर विरोध किया. लेकिन ये भी सही है कि आजाद भारत में आरएसएस की भूमिका धीरे-धीरे बढ़ती गई. यहां तक कि आरएसएस के धुर विरोधियों ने भी उसे जगह देना शुरू किया.
एक वक्त नेहरू भी हो गए थे संघ के मुरीद
RSS ने धीरे-धीरे अपनी पहचान एक अनुशासित और राष्ट्रवादी संगठन की बनाई. 1962 में चीन के धोखे से किए हमले से देश सन्न रह गया था. उस वक्त आरएसएस ने सरहदी इलाकों में रसद पहुंचाने में मदद की थी. इससे प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नेहरू ने 1963 में गणतंत्र दिवस के परेड में संघ को बुलाया था. 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान दिल्ली में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में संघ ने मदद की थी. 1977 में आरएसएस ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को विवेकानंद रॉक मेमोरियल का उद्घाटन करने के लिए बुलाया था. जब जनता पार्टी बनाते हुए जयप्रकाश नारायण ने आरएसएस की मदद ली थी, तब उन्होंने कहा था कि अगर जनसंघ फासिस्ट है तो मैं भी फासिस्ट हूं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक इतिहास रहा है. उस इतिहास की एक कड़ी महात्मा गांधी से भी जुड़ती है. गांधी जिंदगी में बस एक ही बार संघ के कार्यक्रम में गए और वहां भी वही कहा जो उनके दिल में था. अब बारी प्रणब मुखर्जी की है.
तीन बार लग चुकी है संघ पर पाबंदी
संघ पर अब तक तीन बार पाबंदी लग चुकी है. फरवरी 1948 में संघ पर पहली बार तब प्रतिबंध लगा, जब हिंदू कट्टरपंथी नाथूराम गोडसे ने गांधी की हत्याकर दी. संघ पर वो पाबंदी जुलाई 1949 तक रही. दूसरी दफे इमरजेंसी के दौरान 1975 से 1977 तक संघ पर पाबंदी लगी. और तीसरी बार छह महीने के लिए 1992 के दिसंबर में लगी, जब 6 दिसंबर को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई.
गांधी ने संघ के हिंदुत्व को कर दिया था खारिज
आजादी की तरफ बढ़ते हिंदुस्तान में एक तरफ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी थे तो एक तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक एमएस गोलवलकर. आरएसएस के प्रति गांधी की राय किसी से छुपी नहीं थी. फिर भी 16 सितंबर 1947 को गांधी जी आरएसएस के दिल्ली प्रांत प्रचारक वसंतराव ओक के बुलावे पर भंगी बस्ती की एक शाखा में गए थे. पहली और आखिरी बार. वहां गांधी ने साफ कर दिया था कि वो संघ के हिंदुत्व को नहीं मानते. संघ पर फरवरी 1948 में पहली बार तब प्रतिबंध लगा, जब हिंदू कट्टरपंथी नाथूराम गोडसे ने गांधी की हत्याकर दी. संघ पर वो पाबंदी जुलाई 1949 तक रही. 
कभी प्रणब ने भी लगाए थे संघ पर संगीन आरोप
केंद्र में मंत्री रहते खुद प्रणब मुखर्जी ने संघ पर संगीन आरोप लगाए थे. वैसे जिस सरदार वल्लभ भाई पटेल को आज बीजेपी और संघ अपना आइकन मानते हैं, उस पटेल ने भी गांधी की हत्या के साए में 18 जुलाई 1948 को कहा था कि- आरएसएस की गतिविधियां सरकार और राज्य के अस्तित्व के लिए जोखिम भरी थीं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि ऐसी गतिविधियां बंद होने के बावजूद खत्म नहीं हुईं. समय के साथ-साथ आरएसएस का संगठन और अवज्ञा करता जा रहा है. उनकी विद्रोही गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं.
तो गांधी से लेकर पटेल तक होते हुए आज संघ के सामने कांग्रेस से निकले और राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे प्रणब मुखर्जी खड़े हैं. नागपुर में संघ के कार्यक्रम में वो बोलेंगे तो उनके सामने इतिहास की वो धरोहर भी होगी, जिसको संजोकर उनकी राजनीति फली फूली.