Tuesday, August 28, 2018

राहुल गांधी को बुलाने पर कोई फ़ैसला नहीं: आरएसएस

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपने कार्यक्रम में बुलाने को लेकर आरएसएस में किसी तरह का फ़ैसला नहीं हुआ है.
संघ के सह-कार्यवाह मनमोहन वैद्य ने बीबीसी संवाददाता फ़ैसल मोहम्मद अली से कहा कि 'भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' कार्यक्रम में किसको बुलाया जाएगा इसे लेकर किसी तरह की लिस्ट अभी तैयार नहीं हुई है.
उनका कहना था कि लिस्ट को तैयार होने में अभी समय है.
मीडिया में सूत्रों के हवाले से ख़बरें आ रही हैं कि संघ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी को दिल्ली में होने वाले अपने एक कार्यक्रम में बुला सकता है.
राहुल गांधी आरएसएस के घोर आलोचक रहे हैं और उन्होंने अपने भाषण में आरएसएस के लोगों के ज़रिये महात्मा गांधी को गोली मारे जाने तक की बात कही है जिसके लिए संघ उन्हें अदालत भी ले गया है.
चंद दिनों पहले लंदन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए राहुल गांधी ने आरएसएस की तुलना मिस्र के अतिवादी इस्लामिक संगठन मुस्लिम ब्रदरहुद से की जिसे लेकर बीजेपी ने सख़्त एतराज़ भी जताया है.
लेकिन सोमवार शाम को टेलीविज़न चैनलों में आरएसएस के राहुल गांधी को बुलाये जाने को लेकर बहसों का दौर जारी रहा. मंगलवार को कुछ अख़बारों में ये भी ख़बर प्रमुखता से छापी गई है.बीबीसी संवाददाता फ़ैसल मोहम्मद अली ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय फ़ोन कर इस बारे में जानकारी चाही तो संघ के सह-कार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि ''हमारी प्रेस विज्ञप्ति में इस तरह की कोई बात नहीं कही गई है.''
जब उनसे पूछा गया कि इस ख़बर को लेकर सारी मीडिया में ज़ोर-शोर से चर्चा हो रही है तो मनमोहन वैद्य का कहना था कि ''अब कुछ लोगों को ख़बर देने की जल्दी है तो हम क्या कर सकते हैं?''
आरएसएस की वेबसाइट पर 'भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' को लेकर जो प्रेस विज्ञपति है, उसमें कहा गया है कि ये कार्यक्रम दिल्ली के विज्ञान भवन में सितंबर 17 से 19 के बीच आयोजित होगा जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कुछ गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष भाषण देंगे और उनसे विचार-विमर्श करेंगे.
मीडिया में संघ के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार के हवाले से कहा गया है कि ''ये हमारे ऊपर है कि कार्यक्रम में अलग-अलग विचारधारा से ताल्लुक रखनेवाले लोगों को निमंत्रित किया जाएगा.''
अरुण कुमार ने ये बात मीडिया के सवाल के जवाब में कही थी.
उन्होंने कहा था, ''हम किसे बुलाएंगे या नहीं ये हमारे ऊपर है. ये हम पर छोड़ दीजिए. लेकिन विभिन्न विचारधारा और राजनीतिक सोच के लोगों को बुलाया जाएगा.''
आरएसएस ने पिछले साल जून में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को नागपुर बुलाया था, हालांकि पूर्व राष्ट्रपति के वहां जाने को लेकर कई कांग्रेसी नेता और समाज का एक तबका सहज नहीं था, लेकिन पूर्व कांग्रेस नेता वहां गए और उन्होंने संघ के बड़े नेताओं के सामने भारत की साझा संस्कृति की बात की जो आरएसएस की हिंदुत्ववादी विचारधारा से बिल्कुल अलग थी.
कुछ लोगों का मानना था कि आरएसएस कांग्रेस और दूसरी विचारधारा से जुड़े लोगों को बुलाकर अपनी मान्यता और पहुंच को बढ़ाना चाहता है.
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने कहा कि 'हो सकता है कि आरएसएस से जुड़ी विचारधारा आज राजनीतिक तौर पर मज़बूत दिख रही हो, लेकिन वो ये जानते हैं कि उनकी सोच भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, इसीलिए पहले प्रणव मुखर्जी को बुलाकर और अब राहुल गांधी और सीताराम येचुरी को बुलाने की बात कर वो अपनी स्वीकार्यता को बढ़ाना चाहते हैं.'

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