Friday, July 5, 2019

BUDGET 2019: निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए अटैची की बजाय बहीखाता क्यों पकड़ा? #SOCIAL

दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार ने शुक्रवार को अपना पहला बजट पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में क़रीब दो घंटे का बजट भाषण दिया.
लेकिन ये आम बजट संसद में पेश होने से पहले ही चर्चा में आ गया. वजह- उस अटैची का नदारद रहना जिसे सालों से सभी सरकारों के वित्त मंत्री बजट के दिन दिखाते नज़र आते थे.
निर्मला अटैची की बजाय बहीखाता जैसा दिखने वाले बजट दस्तावेज़ के साथ संसद के बाहर नज़र आईं. इस बहीखाते पर कलावा जैसा रिबन बंधा था और राष्ट्रीय प्रतीक बना हुआ था.
ऐसा करने की वजह मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने बताई.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, कृष्णमूर्ति ने कहा- ये भारतीय परंपरा है और ये पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकलने का प्रतीक है. ये बजट नहीं, बहीखाता है.
@GabbbarSingh ट्विटर हैंडल से एक तस्वीर ट्वीट की गई. इस तस्वीर में निर्मला के बराबर में खड़े शख्स ने टाई पहनी हुई थी. इस पर @ ने लिखा, ''इस भाई को बोलो कि धोती पहनकर आए.''
अनिरुद्ध शर्मा लिखते हैं, ''आपने शपथ विदेशी भाषा में ली थी. बजट में भी इंग्लिश भाषा का इस्तेमाल किया. ये एक पश्चिमी भाषा है मैडम जी.''
केतन ने फ़ेसबुक पर लिखा, ''निर्मला मैडम कार से संसद आईं थीं. उनके माता-पिता भी कार से संसद आए थे. बस यही बताना है. आगे कोई जोक नहीं है.''
संजय कुमार यादव ने लिखा, ''ये बहुत अच्छी बात है. शास्त्रों के अनुसार खजाने को लाल कपड़े में रखने से उन्नति होती है.''
जावेद हसन ने लिखा, ''लैपटॉप में क्यों नहीं लाईं. डिजिटल इंडिया में बजट भी डिजिटल होना चाहिए.''
बीबीसी हिंदी ने कहासुनी के ज़रिए अपने पाठकों से पूछा कि वो बजट को कितने नंबर देंगे और उनको बजट कैसा लगा? हमें इन सवालों पर कई प्रतिक्रियाएं मिलीं.
कुछ लोगों ने इस बजट को 10 में से 10 नंबर दिए और कुछ ने डबल ज़ीरो.
गौरव शर्मा ने लिखा, ''इस बजट से आम लोगों को कुछ नहीं मिला.''
रुचि लिखती हैं, ''रोज़गार और शिक्षा के लिए कुछ नहीं किया गया है. स्कूलों में टीचर्स की इतनी कमी है.''
ट्टिवटर हैंडल @coolfunnytshirt ने राहुल गांधी की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ''राहुल के सर के ऊपर से जा रहा है. लेकिन दिमाग में प्रतिक्रियाओं की प्रैक्टिस हो रही है. ताकि कह सकें- बजट में गरीबों के लिए कुछ नहीं है. जॉब्स का क्या हुआ. मज़ा आ रहा है.''

Monday, July 1, 2019

生物多样性谈判:“巴黎热”中的冷思考

2020年中国将作为主席国举办《生物多样性公约》第十五次缔约方大会(CBD-COP15),力求达成全球生物多样性后2020年框架。在通往昆明的道路上,借鉴《巴黎协定》经验已成为目前谈判中的趋势。《巴黎协定》作为新一代多边环境条约的历史地位,及其对其它环境进程的参考价值毋庸置疑。然而,在现阶段的谈判中,已然出现了一些对“巴黎精髓”的曲解。如不多加注意,有可能导致生物多样性进程仅仅学到了巴黎之“表”,而不能汲取其“里”。

《巴黎协定》对生物多样性进程的参照应该至少表现在四个层面

首先,《巴黎协定》为多边气候治理带来的不是小修小补,而是一次范式革新。《巴黎协定》汲取了既往“自上而下”和“自下而上”模式的优势与不足,创新性地将全球长期目标、规则手册等“自上而下”的元素与“国家自主贡献(NDC)”的“自下而上”概念结合。在地缘政治深刻变化的当下,《巴黎协定》的执行情况还有待实践的检验。但应当承认,它赋予了国际气候治理格局一次重生

2020年的昆明会议对于生物多样性进程的历史意义,类似于当年的巴黎气候大会,应当留下与之相匹配的政治遗产。这一遗产不应该局限于政治“化妆”,而应触及问题的根源,对生物多样性保护的症结开展有效的“手术”。在这一点上,生物多样性进程并非没有前车之鉴。2010年的“爱知目标”外表光鲜,但各国对这一国际目标却没有义务进行相应的“国内化”(通过国内的立法和政策制定使目标“落地”)。这无疑注定了“爱知目标”更多只是“愿景”,而无法被全面达成的宿命。让生物多样性进程在2020年之后获得如巴黎一样的“重启”应是昆明会议的重要使命。

其次,《巴黎协定》的重要政治贡献在于目标和机制的“双核”推动。在目标方面,《巴黎协定》在一定程度上冲破了政治束缚,第一次将雄心勃勃的1.5度温控目标写入多边进程。这在一定程度上是主席国政治魄力和各方外交努力的成果。在机制方面,《巴黎协定》也取得了摆脱旧有的发达国家-发展中国家二元对立的政治突破,并显著提升和丰富了多边机制中围绕“自主贡献”信息、透明度、适应、资金、力度提升机制、履约等各方面的规则。

现阶段生物多样性谈判则有一种“重目标、轻机制”的倾向,过多的精力被用于设计目标的形式和结构,而对目标力度和涵盖议题(比如是否包含量化资金目标)的讨论还处在表层。在机制方面,各方还没有对后2020框架需要哪些机制进行有效、务实的甄别。更危险的是,各方在尚未清晰界定后2020年框架所包含的要素前就急于进入关于要素之间层级和结构的讨论,这与先定内容,再议结构的常规逻辑背道而驰。与巴黎目标、机制的“双赢”相比,昆明会议需要谨慎安排这两方面的讨论,防止既无法产出超越政治想象的目标,又在机制、资金等问题上裹足不前的情况。

第三,《巴黎协定》的谈判虽然不乏波澜,但对程序性问题的管控总体得当。多边进程中,程序性议题往往是决定进程成败的关键。目前阶段,生物多样性进程已经出现了一些程序性隐患,亟待解决。例如,《生物多样性公约》试图复制《巴黎协定》中“自主贡献”的概念,在2018年的第十四次缔约方大会(CBD-COP14)决议中采纳了“自愿承诺(   )”的概念。但《巴黎协定》在提出“自主贡献”概念后对其进行了缜密定义,才最终要求各国提交贡献。而《生物多样性公约》在没有对“自愿承诺”由谁提交、何时提交、包含内容等关键问题进行详细讨论并形成共识前,就植入了这一概念。更令人忧虑的是,作为国家执行公约的政策工具,生物多样性进程下已有“国家生物多样性战略与行动计划( )”。在没有充分定义的情况下抛掷出“自愿承诺”概念,不仅不会健全公约的执行机制,反而可能产生不必要的误解。同时,如果没有足量国家认同“自愿承诺”的概念,昆明会议也可能面临甚少“自愿承诺”被提交的“冷场”。最后,“从沙姆沙伊赫到昆明行动议程”与“自愿承诺”的关系也不甚清晰。如若二者为同一概念,那么目前为二者制定的条款并不统一,容易引起误解。如若二者为不同概念,那么用两个概念为昆明大会造势这一共同愿景服务则显冗余。

第四,《巴黎协定》的影响力还来自主席国对其遗产的长期推动。《巴黎协定》诞生伊始就面临使条约迅速生效、美国撤约、完成规则手册谈判等重要考验。法国作为第二十一次缔约方大会主席在条约达成后付出了延续性的政治努力,在国际气候进程遭受到挑战甚至挫折的情况下为《巴黎协定》注入了关键的政治韧性

重大多边协定的达成如同育儿,决议呱呱坠地往往只是漫长育儿过程的起点。中国应该就会议成果和会后进程做好筹划。生物多样性进程中的很多问题积累多年,不能指望昆明会议一蹴而就、解决百病。因此,会后的“售后服务”应该与会议成果设计得到同等重视。主席国也应为此问题预留长期、充足的政治资源

综上,各方对《巴黎协定》的价值及其对《生物多样性公约》的借鉴意义应该有全面、精确的理解。不对症下药,而仅进行“复制-粘贴”式的仿效将事倍功半。中国作为昆明会议主席国,应将会议定位在针对生物多样性进程进行巴黎式的范式革新。这是对环境外交的一次考验,但也是昆明成果历久弥坚的根基。