Tuesday, March 26, 2019

دونالد ترامب يتوعد أعداءه "الأشرار الخونة" بعد "تبرئة" مولر له من مزاعم التواطؤ مع روسيا

قال الرئيس الأمريكي دونالد ترامب إنه سوف يضع أعداءه، الذين "فعلوا أشياء تنطوي على الشر والخيانة" تحت المجهر، وذلك بعد أن برأته التحقيقات من مزاعم التآمر مع روسيا.
وأكد، متحدثا من المكتب البيضاوي، على أنه لا ينبغي أن يخضع أي رئيس آخر لتحقيقات في "روايات كاذبة".
تأتي هذه التصريحات بعد يوم واحد من إصدار وزير العدل الأمريكي ملخصا لتقرير المحقق الخاص روبرت مولر الذي تولى التحقيق في مزاعم بشأن وجود علاقات بين حملة ترامب ومسؤولين روس أثناء فترة الانتخابات الرئاسية الأمريكية الماضية.
وبرأ ملخص التقرير ساحة ترامب من التآمر مع روسيا في الانتخابات التي أجريت عام 2016.
لكن التقرير لم يشرح كيف بُريء الرئيس الأمريكي من مزاعم عرقلة سير العدالة.
كان الرئيس الأمريكي يستضيف بنيامين نتنياهو، رئيس وزراء إسرائيل، في البيت الأبيض عندما سأله صحفي عن نتائج تقرير مولر.
وقال ترامب: "هناك كثيرون اقترفوا شرورا كثيرة جدا جدا، وأشياء سيئة جدا، وأستطيع أن أقول إنها خيانة".
وأضاف: "بعد أن ألحق هؤلاء ضررا بالبلاد، آمل أن نكون اجتزنا فترة كانت حافلة بالأشياء السيئة."
وتابع: "بالتأكيد، سوف يُنظر في أمر هؤلاء، فأنا أتابعهم منذ وقت طويل."
وقال ترامب: "لماذا لا يُلاحقون؟ فقد كذبوا على الكونغرس - الكثير منهم - فهل تعلمون من هم - إنهم الذين اقترفوا شرورا كثيرة."
لكن ترامب لم يحدد أسماء هؤلاء الجناة المزعومين.
وأضاف: "كانت روايات كاذبة، كان شيئا مرعبا، ولن نسمح أبدا بأن يتكرر ذلك مع أي رئيس مرة ثانية. أؤكد لكم ذلك، أقولها بكل قوة."
أوضح ليندزي غراهام، رئيس لجنة الشؤون القضائية في مجلس الشيوخ الأمريكي، استراتيجية الحزب الجمهوري في التعامل مع نتيجة تحقيقات مولر، قائلا: "سوف نعمل على كشف الجانب الآخر من قصة" التحقيقات بشأن مزاعم التدخل الروسي في الانتخابات الرئاسية.
وأضاف عضو مجلس الشيوخ عن ولاية ساوذ كارولينا، الذي قضى عطلة نهاية الأسبوع الماضي مع الرئيس الأمريكي دونالد ترامب، إن لجنة الشؤون القضائية بمجلس الشيوخ سوف تحقق، بدورها، في ملابسات التحقيق الذي أجري بقيادة وزارة العدل الأمريكية.
وأكد غراهام أن استخدام مكتب التحقيقات الفيدرالي لملف بهدف تشويه سمعة ترامب، أعده جاسوس بريطاني يُدعى كريستوفر ستيل، سوف يكون من الأمور التي تخضع للتمحيص.
في غضون ذلك، ركز الديمقراطيون على سطر جاء في ملخص وزير العدل يقول إن تقرير مولر "لا يبرىء ترامب من تهمة عرقلة سير العدالة" حتى بعد تأكيد بار الأحد الماضي على عدم وجود أدلة كافية على أن الرئيس ترامب قد ارتكب جريمة.
وقال جيرولد نادلر، رئيس لجنة الشؤون القضائية بمجلس النواب، إنه سوف يستدعي وزير العدل للشهادة في وقت قريب "في ضوء التناقضات المقلقة والقرار النهائي لوزارة العدل."
وحددت لجنة المخصصات في مجلس النواب الأمريكي جلسة استماع في التاسع من إبريل/ نيسان المقبل لمناقشة ميزانية وزارة العدل، والتي يتوقع أن يحضرها الوزير. كما يتوقع أن تستدعي لجان برلمانية أخرى الوزير للشهادة حتى قبل ذلك.
وأعاق ميتش ماكدونيل، زعيم الجمهوريين في مجلس الشيوخ، الاثنين الماضي تحركا من قبل الديمقراطيين لحث بار على نشر تقرير مولر.
وقال ماكدونيل إن الوقت لا يزال مبكرا لنشر التقرير الكامل، إذ "ينبغي أن تتاح الفرصة أمام المجلس الخاص ووزارة العدل لاستكمال عملهم."
وكتب زعيم الجمهوريين في مجلس الشيوخ تغريدة على حسابه على موقع التواصل الاجتماعي تويتر جاء فيها: "لا تواطؤ ولا مؤامرة، ولا عرقلة للعدالة".
ويُعقد اجتماع بين نانسي بيلوسي، رئيسة مجلس النواب، ومساعديها، والذي يتوقع أن يوضح استراتيجية الحزب الديمقراطي في التعامل مع نتائج تقرير مولر.
لكن كاتي هل، عضوة مجلس النواب عن ولاية كاليفورنيا، قالت لموقع "بوليتيكو" إنها لا تتوقع أن يكون هناك تغيير كبير.
وأضافت: "ليس بيننا من ينتظر أن يأتي تقرير مولر بما يساعدنا على اتخاذ قرار بشأن ما سنفعله. ولم تعتمد تحقيقاتنا على تقرير مولر."

Wednesday, March 13, 2019

शरद पवार के परिवार में सत्ता का संघर्ष क्यों शुरू हुआ

कांग्रेस के नेतृत्व ने इस बारे में न कोई स्पष्टीकरण दिया और न ही खेद प्रकट किया कि एक ही परिवार के इतने लोग कांग्रेस का नेतृत्व कैसे कर रहे हैं. लेकिन इसमें कोई शक़ नहीं है कि कांग्रेस के चुनावी अभियान के केंद्र में वंचित और कम आय वाले लोग ही रहेंगे. इसके भारत की राजनीति में अपने अलग मायने भी हैं. इसे मानने के कारण भी बढ़ रहे हैं और इसी के नतीजे में प्रतिस्पर्धी लोक-लुभावनवाद दिखेगा.
लोगों से बात करते हुए प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ने के संकेत नहीं दिए. लोकसभा चुनावों के तहत कांग्रेस की पहली लिस्ट आ चुकी है और सोनिया गांधी-राहुल गांधी ही रायबरेली और अमेठी से चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि हो सकता है कि बाद में सोनिया गांधी प्रियंका के लिए अपनी सीट छोड़ दें.
ये अभी शुरुआत ही है. जैसे-जैसे चुनावी अभियान का पारा बढ़ेगा, प्रियंका गांधी का वास्तविक चरित्र सामने आएगा. इससे कांग्रेस को कोई फ़ायदा मिलेगा? ये कहना मुश्किल है, लेकिन गांधी परिवार के सबसे युवा सदस्य ने राजनीति में क़दम रख दिया है, अब भला हो या बुरा हो लेकिन ये तय है कि अब वो राजनीति में टिकेंगी.
(इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं. इसमें शामिल तथ्य और विचार बीबीसी के नहीं हैं और बीबीसी इसकी कोई ज़िम्मेदारी या जवाबदेही नहीं लेती है)
महाराष्ट्र में राजनीतिक रसूख वाले परिवारों में सत्ता का संघर्ष कोई नई बात नहीं है.
ठाकरे और भोसले राजघराने के बाद अब शरद पवार के परिवार में सत्ता को लेकर कलह शुरू हो गई है.
अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को मावल लोकसभा सीट से टिकट मिलने की संभावनाओं से इसके संकेत मिलते हैं.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने ऐलान किया है कि उन्होंने ये फ़ैसला नई पीढ़ी के हाथ में राजनीति की बागडोर सौंपने के उद्देश्य से लिया है.
शरद पवार के इस फ़ैसले के बाद पवार परिवार के सदस्य रोहित राजेंद्र पवार ने फ़ेसबुक पोस्ट लिखकर बताया है कि शरद पवार को अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
रोहित पवार लिखते हैं, "पवार साहब के हर फ़ैसले का हम आदर करते हैं लेकिन इस आदर से भी बड़ा प्रेम होता है जो कि मैं और मेरे जैसे तमाम कार्यकर्ता पवार साहब से करते हैं. इसीलिए हम कहना चाहते हैं कि पवार साहब को इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए."
महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पवार के इस फ़ैसले के बाद परिवार में सत्ता संघर्ष शुरू हो गया है.
बीबीसी ने इस परिवार में सत्ता को लेकर हुए संघर्ष के मायनों को समझने के लिए वरिष्ठ पत्रकार विजय चोरमारे से बात की है.
विजय चोरमारे कहते हैं, "महाराष्ट्र की राजनीति में राजनीतिक रसूख वाले परिवारों में सत्ता संघर्ष होना कोई नई बात नहीं है. इसके उदाहरण ठाकरे, मुंडे और सतारा का भोसले राजघराना हैं. लेकिन किसी को ये उम्मीद नहीं थी कि पवार परिवार में ये संघर्ष शुरू होगा. मगर इस उम्मीदवारी की घोषणा के साथ ही पवार परिवार में सत्ता संघर्ष शुरू होता दिख रहा है.
"ये बात समझा जाना बहुत ज़रूरी है कि अजित पवार अब तक अपने चाचा शरद पवार की हर बात मानते आए हैं. लेकिन शरद पवार को अजित पवार के बेटे यानी पार्थ पवार की बात आख़िरकार माननी पड़ी."
वरिष्ठ पत्रकार राही भिडे मानती हैं कि पार्थ पवार को उम्मीदवारी मिलने के पीछे पारिवारिक संघर्ष एक वजह हो सकती है.
भिडे कहती हैं, "अजित पवार अपने बच्चों को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं. वोह चाहते हैं कि शरद पवार के राजनीतिक रूप से सक्रिय रहते ही ऐसा हो. ये संभव है कि पवार परिवार में इसके लिए दबाव बनाया जा रहा हो.''
वो कहती हैं, ''पार्थ भी महात्वाकांक्षी हैं और वो ख़ुद को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं. इसीलिए वो लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. वह काफ़ी समय से इसकी तैयारी भी कर रहे थे. मावल लोकसभा सीट में भी पार्थ पवार का पार्टी कार्यकर्ताओं से बढ़िया तालमेल है."
"ऐसा लगता है कि शरद पवार ने घरवालों के दबाव की वजह से पार्थ को आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया हो. शरद पवार ने ही इससे पहले मावल से पार्थ की उम्मीदवारी को नकारा था. लेकिन अब शरद पवार को ख़ुद के फ़ैसले से पीछे हटना पड़ा. इससे पता चलता है कि उन पर घरवालों का कितना दबाव है. वहीं, अजीत पवार के समर्थक भी चाहते हैं कि मावल से पार्थ को उम्मीदवारी मिले. इसका मतलब ये हुआ कि अजित पवार को ख़ुद ये लगता है कि उनका बेटा पार्थ राजनीति में आने के लिए तैयार है."
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक़, "पवार परिवार में युवाओं के बीच राजनीतिक महत्वाकांक्षा दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है. क्योंकि अजित पवार ने कहा था कि पार्थ को राजनीति में नहीं आना चाहिए और शरद पवार ने भी कहा था कि उनके परिवार से अब कोई व्यक्ति राजनीति में शामिल नहीं होगा. लेकिन इसके बावजूद पार्थ को उम्मीदवारी मिलने की बात लगभग पक्की हो गई है. ऐसे में ये सवाल उठना लाज़मी है कि क्या पार्थ और रोहित के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा है."